Wednesday, December 14, 2011


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Tuesday, December 13, 2011

जिम्मेदारी .......


जिम्मेदारी.....!! सुनने, पढने और लिखने में एक छोटा सा शब्द....पर वास्तव में इसी एक शब्द में छिपा है सबकी सफलता का राज.... !!  जब भी हमसे परिवार, समाज या कंपनी में  कोई गलती हो जाती है तो कहा जाता है कि "जिम्मेदारी से काम करना सीखो"...मतलब साफ़ है कि दिनभर से लेकर, पूरे सालभर, पूरी जिंदगीभर इस शब्द का बहूत ही गहरा सम्बन्ध हर व्यक्ति विशेष से होता है....जैसे  कि
१. अगर कोई मजदूर निर्धारित समय में उपयुक्त उत्पादन न दे पाए तो कहते है की उसने जिम्मेदारी से मजदूरी नहीं की.
२. अगर कोई विधार्थी साल भर पढने के बाद फेल हो जाए तो कहते है की उसने जिम्मेदारी से पढाई नहीं की,
३. अगर किन्ही पति - पत्नी में अनबन है तो कहा जाता है की दोनों ने वैवाहिक रिश्ते की जिम्मेदारी पूरी तरह नहीं निभायी.
४. अगर बच्चा बिगड़ जाए तो माप बाप को कहा जाता है की उन्होंने जिम्मेदारी पूरी नहीं निभायी.

मतलब हर कदम पर हर असफलता के लिए जिम्मेदारी को ही प्रधान माना गया है....लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि आखिर "जिम्मेदारी" का वास्तविक मूल कहाँ से शुरू होता है....इसकी जडें कहाँ है....!! अगर गहराई से निगांह दौडाई जाए तो महसूस होता है  आज हर कोई ढेरसारी जिम्मेदारिय निभा रहा है...कोई देश के प्रति जिम्मेदारी निभाने की बता करता है....कोई बच्चो के प्रति....कोई समाज के प्रति...कोई दोस्तों के प्रति...कोई कंपनी के प्रति.....पर शायद ही 1  लाख में से 1  व्यक्ति ये सोचता हो की इन् सब जिम्मेदारियों से पहले हर इंसान की खुद के प्रति जिम्मेदारियां है, जिन्हें ईमानदारी से निभाने के बाद ही किसी अन्य जिम्मेदारी के साथ उचित न्याय किया जा सकता है...!!  युग ऋषि की उपाधि से सम्मानित पं. श्री राम शर्मा आचार्य ने विकास के चरण को निम्न मॉडल से दर्शाया है....
व्यैक्तिक विकास------>> पारिवारिक विकास------>> सामाजिक विकास------>> राष्ट्र विकास
व्याख्या स्पष्ट है की व्यक्ति से परिवार से जुड़ा है...परिवारों से समाज जुड़ा है...समाज से राष्ट्र और और फिर राष्ट्र से हर एक नागरिक से जुड़ा है....!! इसलिए शुरुवात खुद की अपने प्रति जिम्मेदारी से करें, अगर इसमें सफल हो गए तो यकीन माने की आगे की राह आपकी सोच से कहीं अधिक सरल होगी. ये भी एक विडम्बना है की इस सरलता को छोड़कर हम जिंदगी भर एक कभी न खत्म होने वाले संघर्ष में लगे रहते है...सभी के प्रति ईमानदारी दर्शाने में  लगे रहते है...परिवार को झूठी ख़ुशी देने में लगे होते है....!! इसलिए सबसे पहले
खुद के प्रति जिम्मेदार रहे...ईमानदार बने ...
कभी न सूखने वाला हार बने....!! 
क्यों की "अब मैं नहीं हम" 

Friday, April 22, 2011

हिंदुस्तान में केवल हिन्दुओं की अनदेखी क्यों....?


ये लेख किसी धर्म या समाज के खिलाफ नहीं है, ये कांग्रेस की घटिया राजनीती का एक छोटा सा आइना है
गुजरात के पूर्व  IPS अधिकारी संजीव भट्ट का 9 साल बाद नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आया बयाँ (मोदी ने बाकायदा बैठक बुलाकर आदेश दिया था कि मुसलमानों के खिलाफ सख्ती से पेश आओ। उन्हें सबक सिखाओ ताकि साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने जैसी घटना दोबारा न हो सके) उन् सभी हिन्दू समर्थक नेताओं, संतो, और संगठनो के खिलाफ एक षड़यंत्र है जो हिन्दुस्तान को मूल स्वभाव से हिन्दुस्तान देखना चाहते है और यहाँ ये सवाल खुद सत्तारूढ़ देश विरोधी कांग्रेस सरकार से पूछना लाजिमी है की जिन्होंने 250 से ज्यादा हिन्दुओं को सिर्फ साम्प्रदायिकता के चलते जिन्दा जला दिया क्या उनको दंड भी न दिया जाए और अगर दंड देने की वो प्रक्रिया गैरकानूनी थी तो इसकी जिम्मेदार खुद सरकार है  जिसने खुद ही अपना विश्वास न्याय व्यवस्था पर से खो दिया है, अब देश की जनता तुरंत न्याय चाहती है, या तो सरकार देश हित को सर्वोपरि रखकर सम्प्रादियकता से बचते हुए न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए खुद कुछ ठोस कदम उठाये नहीं तो जनता तख्ता पलट करने में जयादा समय नहीं लेगी...!!  मुसलमान दुश्मन नहीं है पर उनके बीच में बैठे असामाजिक तत्वों का कांग्रेस वोटो की राजनीति के चलते जिस तरह बचाव करती है वो निंदनीय और हिन्दुओं के लिए असहनीय है, और साथ ही देश के भविष्य के लिए नासूर..!! ऐसे में भारतीय राजनीती में भविष्य केवल उन्ही लोगों का है जो धर्मनिरपेक्षता पर यकीन रखते हुए भारत की राजव्यवस्था का नेतृत्व करेंगे....!!
सब धर्म है एक समान - जय हिंद- जय भारत- जय हिंदुस्तान
We Youth Foundation - "Us is Better Than I" 

Friday, February 18, 2011

~~भारत पर सियासी शतरंज का साया~~

मनमोहन सिंह...!! ये वही नाम है जिसने 90 के दशक में भारत की जर्जर हो चुकी आर्थिक स्थति को न केवल मजबूत किया बल्कि पूरे विश्व पटल का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया.....ये वो नाम है जिसने राजनीति में अपने को चमकाने के लिए लोकसभा क्षेत्रों में उतारकर लोगो की भावनाओं से खिलवाड़ और झूठे वादे करके नहीं बल्कि अपनी इमानदार छवि के आधार पर प्रधानमंत्री के स्तर पर पहुंचा ....ये वो नाम है जो दुनिया के नामचीन अर्थशास्त्रियों में शुमार है....ये वो नाम है जिसने अमेरिका के साथ परमाणु संधि करके पूरे विश्व जगत में हलचल मचा दी थी.....ये वो नाम है जो बाईपास सर्जरी कराकर भी 120 करोड़ लोगो की उम्मीदों का बोझ अपने काँधे पर लादे हुए है.....फिर आखिर ऐसी कौन सी बात है की इतने मजबूत कंधे अपने ही देश में इतने कमजोर नज़र आते है..!! 
लगातार खुलते घोटालों के राज.....भ्रष्टाचार में सलिंप्त लोगो की लम्बी होती सूची....महंगाई से कराहती आम जनता.... गरीबों का सड़ता अनाज...उस पर हमारे कृषि मंत्री जी के सबसे घटिया और बेशर्मी से भरे बयाँ.....और सब जानते हुए भी मनमोहन सिंह जी के ऊट पटांग जवाब..तर्कहीन तथ्य...!! क्या ये सब बातें साफ़ साफ़ ये इशारा नहीं करते की वाकई में मनमोहन सिंह एक चाबी के खिलोने की तरह ही काम कर रहे है..!! और कांग्रेस के सत्ताकाल में ही मनमोहन सिंह जी जैसे व्यक्तित्व के प्रधान मंत्री पद पर रहते हुए सरकार के लगातार गिरते हुए स्तर के बावजूद प्रधानमंत्री का प्रेस कांफेरेंस बुलाकार अपनी मजबूरी का इजहार करना सिर्फ एक ही इशारा करता है भारत के राजनैतिक महकमे में सियासी शतरंज में गठबंधन में जुडी मतलबी पार्टिया इस तरह से अपने मोहरों कि बिसात बिछाएं बैठे है कि बात सह और मात पर टिकी हुई है...उसके बावजूद भी बेशर्मी से सरकार चलाना कोई आसान बात नहीं है...आखिर इस सह और मात में कौन सी पार्टिया है भारत के जनता के लिए नासूर..और किन मजबूरियों ने बांधे है सरकार के हाथ....
राज खुलने को बाकी है कुछ लम्हों का इंतजार....बस इंतजार करे अगले शब्दों से भरे एक लेख का....To Be Continued

Friday, January 7, 2011

हमारे युवा यानी 50 करोड़ बिजलीघर..


     ये नए एंग्री यंगमैन होंगे...। वे प्रश्न पूछेंगे...। तीखे प्रश्न...। कक्षाओं में...। सड़कों पर...। सभासदों से...। मठाधीशों से...। सारी दुनिया से...। अज्ञान खत्म करने के लिए...। भय-मुक्त होने के लिए...। खुले-खिले रहने के लिए...। वे, अकर्मण्य चर्चाओं से परे रहेंगे...। तयशुदा, रटे-रटाए ‘भारत विरुद्ध इंडिया’ जैसे फलसफों को सिरे से नकार देंगे..। उनके पास ऐसे ‘निकृष्ट’ विषयों के लिए समय कहां होगा..? क्योंकि उन्हें पता है कि 7 जन्मों के पुण्यों के फल से भारतीय होने का गौरव मिलता है।
     कहीं से आया कोई बच्चा नई दिल्ली हवाई अड्डे पर पंचतंत्र की कहानियों की मांग करते दिख जाए तो चकित न हों। समझ लीजिए कि वह जापानी राजधानी के मिताका इलाके से आया है। वहां पर भारतीय किताबों से पढ़ाई शुरू की गई है जो अब कई स्कूलों में चल रही है। और ऐसा किसी फैशनेबल प्रयोग के लिए नहीं किया गया है।
     सन 2000 में जापान गणित की पढ़ाई में विश्व में सर्वश्रेष्ठ था, 3 वर्ष पहले दसवें क्रम पर फिसल गया। भारी बहस के बाद शुरू की र्गई भारतीय किताबें। कक्षाओं में पंचतंत्र की कहानियां होने लगीं और उसके पशु-पात्र सिंहनक और दमनक के चित्र लगाए गए।
     गणित के लिए तो साफ कहा गया कि औसत जापानी बच्चे 9 तक ही पहाड़े सीख पाते हैं, जबकि भारतीय बच्चे 99 का पहाड़ा खूब सुना देते हैं- 99 में 99 का गुणा तेजी से करते हैं। तेज गति। तेज बुद्धि। यही तो है हिंदुस्तान की विशेषता। इसी के भरोसे हम विश्व में शीर्ष होंगे। स्वतंत्रता की 50वी सालगिरह पर इंद्रकुमार गुजराल ने गजब का उदाहरण दिया था।
     उन्होंने बताया था कि0 "50 साल पहले उनका परिवार रेल्वे प्लेटफार्म पर सोता था - आज वे प्रधानमंत्री हैं। यानी समान अवसर। ऐसा सिर्फ हिन्दुस्तान में हो सकता है। अब समय आ गया है। 115 करोड़ का 10 वर्षों से गुणा करने का..! क्योंकि यह दशक हमारा है। हर भारतीय का..। और इस दशक में ही तय होगा कि हमारा देश सुपरपावर बनेगा.। चाहे बने कभी भी।
     तय अभी ही होगा..। और सर्वाधिक कीमती समय है "2011"...!!  क्योंकि यह इस स्वर्णिम दशक का आधार वर्ष है। सूझबूझ वाले लोग सुबह देखकर बता देते हैं कि दिन कैसा होगा..। हमारे लिए नया वर्ष नए दशक की भोर ही है। पौ फटने पर जागना होता है। हमें जागना ही तो है। शेष काम तो सूर्य का है। चमचमाती किरणों से इतनी ऊर्जा भर देगा कि हर पल, हर जीवन रोशनी से भर उठेगा।
     इसी ऊर्जा के सही प्रयोग की बारी आ गई है। दशक का नेतृत्व युवा करेंगे। हमारे युवा यानी कोई 50 करोड़ बिजलीघर। चलते-दौड़ते और उड़ते ऊर्जा मंडल। ये युवा अब तक की पीढ़ियों में सबसे जुदा होंगे। इनके तेवर में ताप होगा। इनके सीने में आग होगी। उन्हें किसी सांसारिक सफलता की परवाह नहीं होगी।
     क्योंकि मातृभूमि का गौरव जो बढ़ाना है। नृत्यांगना सोनल मानसिंह ने कहा था "सात जन्मों के पुण्य से भारत में जन्म होता है । अगले दस वर्ष महिलाओं के नाम होंगे। युवा वर्ग मिलकर जहां अमीर-गरीब के भेद को पाट देगा, महिलाओं को इससे भी बड़ा श्रेय मिलेगा। वे दिखा देंगी कि शहरी और ग्रामीण महिलाओं में सांसारिक <span>संघर्षों</span> लेकर कोई अंतर नहीं है।
     दमन को कुचलने और बाधा बने तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देने में जितना साहस शहरी युवतियां दिखाएंगी उतना ही गांव की महिलाएं। और एक बड़ा परिवर्तन आने वाला है। अभिशाप बनकर बैठी निरक्षरता नष्ट होने जा रही है। जितनी अमेरिका की कुल आबादी है उससे कहीं अधिक भारतीय पढ़ नहीं सकते। इसलिए आगे नहीं बढ़ सकते।
     सभी ने यह सुना..। किंतु बड़ी भूल की..। ऐसा कड़वा सुनकर भी हम पढ़ने में नहीं जुटे..? पास होने में ही संतुष्ट हो गए..। संतुष्ट होना- किसी भी देश के युवाओं का संतुष्ट हो जाना- पतन की पताका फहराने जैसा है। वह तो हमारे बुजुर्र्गो का प्रताप रहा कि हमारा पतन नहीं हुआ।
उधर एक बड़ी भूल की हमारे शिक्षकों ने भी। उन्होंने हमें कभी पढ़ाई करने को नहीं उकसाया। नहीं समझाया कि अक्षर ज्ञान होने पर ही विश्व का नेतृत्व मिल सकेगा। ऐसी कमजोर पढ़ाई के बावजूद नासा, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, आईबीएम और जीरॉक्स- में भारतीयों की संख्या 25 से 28 प्रतिशत है। यह प्रतिशत बढ़ भी जाए तो कोई महान विषय नहीं है। नए युवा को, नई महिला को न कोई डिग्री डिगा पाएगी न पद लुभा पाएंगे।
     उसका कोई ‘आयकन’ नहीं होगा। उसे राहुल गांधी पसंद तो आएंगे किंतु रोल मॉडल नहीं होंगे। सचिन, सानिया, साइना से वह प्रभावित होगा लेकिन बस खेल तक। फिल्मी सितारे, राजदुलारे हों या चांद सितारे- वह उन्हें उनकी दक्षताओं-क्षमताओं तक ही पसंद करेगा।
उसे पता होगा कि किसी को भी रोल मॉडल बनाने से उसे ‘उनके जैसा’ बनना होगा- स्वयं का अस्तित्व खोना पड़ेगा। फिर यह समय उसका कैसे होगा? यह दशक शौर्य का चरमोत्कर्ष होगा।विजयी वही होंगे जो मंजिल नहीं, राहों से प्रेम करेंगे। कहा गया है कि : यदि आप कमजोर पैदा हुए हैं- तो इसमें आपका कोई दोष नहीं किंतु यदि कमजोर ही मरते हैं- तो पूरे दोषी आप ही हैं।...
     "We Youth Foundation" जनवरी 2011 से इसी लक्ष्य के साथ भारत और विश्व के समन्वित  नैतिक, भौतिक और अध्यात्मिक विकास के  साथ संकल्पित होकर आप लोगो के बीच आया है.. आप सभी से इस महतवपूर्ण विकाशात्मक आन्दोलन में हाथ से हाथ मिलकर जुड़ने की अपील है.. ताकि हर घने अँधेरे को दिए से दिया जलाकर दूर किया जा सके..!! विश्वास रखे कि ये आने वाला दशक इतिहास में युवाओं को भविष्य का मार्गदर्शक बतायेगा... क्यों कि आने वाले दशक का युवा "अब मैं नहीं हम" के सांचे से ढला होगा..और इस सांचे को मजबूत आधार देने के लिए आज ही  "We Youth Foundation" के महत्वपूर्ण स्तम्भ बने..!!  आज ही 9871117901  या 9368015620   पर कॉल करे..!!

Friday, December 31, 2010

नए वर्ष 2011 की शुभकामनायें...


बीत गए वो लम्हे सारे...बीत गए वो दिन....
कुछ हँसते खेलते बीते..कुछ तारे गिन गिन
सोचा कि आखिर क्या है ये "वर्षों" का आना जाना
जिसके गम और और खुशियों में डूब जाता है ज़माना
तो हर बार ज़हन में निकाल कर आई एक ही बात...
.....कि जो 'आज' है.. वही बीता हुआ कल भी है और आने वाला भी कल
और इसी कल पर ही टिका है सबकी उम्मीदों का भार...
इसी भार को हल्का कर पहुंचे
सभी के पास हमारी आशाओं और प्यार का उपहार..
....इसी भाव के साथ महसूस हो रहा है 
"नए साल का आगाज़"
~~मुबारक हो...मंगलमय हो....और हर पल का मनुहार को
आप सभी का नए वर्ष 2011 में सबसे सुखी संसार हो..~~
सूर्य प्रकाश शर्मा
अध्यक्ष
"We Youth Foundation"
9871117901

Wednesday, December 29, 2010

एक भावभरी अपील


(परिवर्तित).....कृपया इसे जरूर पढ़े
 परमात्मा की प्रेरणा से समाज के कुछ प्रतिष्ठित महानुभावों और "We Youth Foundation" के कुछ सशक्त युवाओं के सम्मल्लित सहयोग से 6  जनवरी 2011  को 2 गरीब कन्याओ का विवाह कराया जा रहा है...इस महान कार्य के सफल संचालन में आप सभी मित्रों का आशीर्वाद उन कन्याओं के जीवन के लिए संजीवनी साबित होगा...जो भी लोग इस महान कार्य में अपनी ओर से कन्यादान देना चाहे ya इस कार्यक्रम से जुड़ी अधिक जानकारी या निमंत्रण पत्र पाना चाहें तो 9871117901 या 9368015620 पर कॉल करे या अपनी फेसबुक पर सन्देश के माध्यम से अपनी E-mail ID भेजें..
निवेदक- सूर्य प्रकाश शर्मा, अध्यक्ष, "We Youth Foundation