Thursday, August 13, 2009

क्यों लोग ऐसे हैं जीते...............

क्यों लोग किसी की बात बना देते है,
क्यों लोग किसी का मान घटा देते है,
क्यों लोग नही लेते आधार तथ्यों का,
क्यों लोग किसी का मजाक बना देते है।
बातें बनाना ही जग में काम है बचा क्या,
किसी को बदनाम करना काम है बचा क्या ?
क्यों नही करते कौशिश जानने की हृदय से,
किसी का सम्बन्ध तुडाना काम है बचा क्या?
इस संसार में.......
बुरा इंसान भी तो अच्छा बन जाता है,
एक डाकू भी संसार में ऋषि बाल्मीकि बन जाता है,
लोग पूजते है फिर उसी को सर नवां कर,
जिसको इंसान हर पल ग़लत समझ पाता है।
अगर.........
सोच बनेगी ऊँची तो ऊँचे लोग मिलेंगे,
सोच बनेगी तो छोटी तो छोटे लोग मिलेंगे,
संगती से ही विकसित होता है जीवन स्तर,
नही तो जैसे बोयेंगे बीज वैसे फल मिलेंगे।
बुरा नही लगता मुझे अपनी बुराइयों से,
दिल दुखी होता है लोगों की धारणाओ से,
बनाओ श्रेष्ठ धारणा आधार प्रबल करके,
वैसे जीने को तो जानवर भी जीते है,
रोज जाकर लोग मयखाने में पीते है,
नालों में पड़कर गालियाँ भी देते है,
इंसान के रूप में जब जानवर बनते हैं,
गीता भी बोलने पर पब्लिक से पीटते है।
इसलिए......
भगवन की बनाई दुनिया भगवन ही चलता,
इंसान हमेशा उस पर अघात ही करता।
करो कुछ भी लेकिन तुम भगवन को समझकर।
क्यों की.............
इंसान आज है कल नही रहेगा,
भगवन हर पल तुम्हारी आत्मा में रहेगा,
लोग क्यों नही जीते दूसरो में संभावनाओ के साथ,
कोई पा नही सकता सफलता दुर्भाव्नाओ के साथ,
जीओ तो ऐसे जीओ की की दुनिया याद रखे,
कहीं ऐसा न हो की ..........
परिवार ही भूल जाए तुम्हे तुम्हारे जाने के बाद।
अब मैं नहीं "हम"