Tuesday, July 20, 2010

कहानी पूरी फ़िल्मी है.. ..

~~गांधी गिरी~~

सूर्य प्रकाश और गाँव के एक चौधरी में बातचीत
सूर्य प्रकाश : हुक्का मोय पकड़ा के चौधरी फिर सिरीयस हो गयो...मन्न पूच्छा का होगो तमै..!!
चौधरी : के करूँ....नाचू थारे गैल...तमै तो नाचनो भी ना आवे ठीक ते...!!
सूर्य प्रकाश : तू इतना सिरीयस क्यों से चौधरी...नू बता...!!
चौधरी : मैं एक फिलम बनाना चाहूं सूं..पर स्टोरी के खातिर थारे धोरे भीख मांगने की कोई जरूरत नो.., घणी चौखी स्टोरी है म्हारे धोरे..!!!
सूर्य प्रकाश : मन्ने माथा पीट ली...तुमने लिखी फिलम की स्टोरी..? या अल्लाह सिनेमा हॉल पे रहम करना..!!
<चौधरी बिगड़ जाता है>
चौधरी : मोय पत्तो है...अक तमै मेरे तलेंट ते घणी जलन से...पे इब के फिलम बना के ही मानूंगो...!!
सूर्य प्रकाश : चोरी को खतरों ना हो तो मन्ने भी सुना दे अपनै फिलम की स्टोरी...!!
चौधरी : त़ा सुण  पर बीच बीच में टोकियो मत..!!
<चौधरी ने कहानी शुरू की>
"एक गरीब गाम से..वा गाम में एक गरीब माँ.और गैल वा काअ छोरा रह से...!! माता जी कू सदियों पुराणी खांसी  की बीमारी से...अजुर छोरे ने फर्स्ट क्लास में पास होने की...!! दोनों को कोई इलाज नो.."
सूर्य प्रकाश : लै बीच बीच में हुक्को पीतो रह...!!
चौधरी : परे कर हुक्के नै....बीच में बोल के मेरी कहानी कू भटका मत...रीमैक  का या ज़माना में म्हारी फिल्म बिलकुल असली से...!! आगे सुण...!!
"गाम में एक सूदखोर लाला आर एक जालिम ज़मींदार सै....गैल एक बाँध भी सै...जा मई सदियाँ ते काम चल रहा सै..!"
सूर्य प्रकाश : लेकिन यूं बता चौधरी की अक हर फिलम में गाम के धोरे बाँध ही क्यों बनता रह सै..!!
चौधरी : जिससे गाम की बहु बेटियों कू अपनी इज्जत बचान की खातिर ज्यादा दूर ना भग्नो पड़े..!!
सूर्य प्रकाश : और आस पास कड़ी थानों भी नज़र ना आवे...!!
चौधरी : ज़मींदार के होते थानेदार की काह जरुरत..!!
सूर्य प्रकाश : हाँ भई बर्बाद गुलिस्तान कू बस एक ही उल्लू काफी है...
<चल कहानी सुण>
चौधरी : "गरीब माँ को गरीब छोरा एक दिन अमीर ज़मींदार की शहर ते लौटी छोरी कू देख लेता सै..बस फिर वेह सारे काम छोड़ के हीरोइन के गैल 'आल्हा' गाने लाग्या .!!
सूर्य प्रकाश : फिर के होया..
चौधरी : ज़मींदार ने हीरो की माता जी कू ठाके शेर के बाड़े में डाल दई...!! माता जी कू खांसता देख शेर बोल्या- दुखी मत हो माई..आज मन्ने रोजे रखे है..इब्बी इफ्तखार तक तम्मे कोई खतरा नो...!!
फिर माई बोली - हम्बे तब तक तो हीरो आ जा गा...!!
फिर माता जी कू बचाने की खातिर हीरोइन शेर के बाड़े में कूद गयी..!!
शेर बोल्या : इफ्तखार में अभी आधा घंटा बाकी सै...आप दोनों कौ बहूत बहूत शुक्रिया..!!
माई बोली : हीरो कित मर गयो...!!
हीरोइन बोली : तू क्यों बावला हो रया सै....अभी तो रोजा खोलने में तीस मिनट बाकी सै...
खैर इतनी देर में हीरो बाड़े कौ छत से रस्सी लै के कूदो..!! और  दोनों कू ठाके छत से झूलने लाग्या..!! तब शेर ने हीरो से रिक्वेस्ट करी...भाई आज मेरे धोरे रोजा खोलने कू एक भी खजूर नो...तेरे धोरे दो दो है...एक मन्ने दे दे ठाकुर...!! हेरोइन को टपका देना ना...!!
तभी माता जी कू खांसी का दौरा पड़ा...आर वा काउ खांसता देख शेर चिल्लाया : मोय इन्फेक्सन ते बचा लो...मन्ने नहीं खाना खजूर...माता जेई नू खांसी की दावा दो..आर मन्ने एक गिलास पानी..!! मौ पै रहम कर माई...!!
<शेर की गांधीगिरी देखकर ज़मींदार को हृदय परिवर्तन हो गयो>
दी एंड