Friday, January 7, 2011

हमारे युवा यानी 50 करोड़ बिजलीघर..


     ये नए एंग्री यंगमैन होंगे...। वे प्रश्न पूछेंगे...। तीखे प्रश्न...। कक्षाओं में...। सड़कों पर...। सभासदों से...। मठाधीशों से...। सारी दुनिया से...। अज्ञान खत्म करने के लिए...। भय-मुक्त होने के लिए...। खुले-खिले रहने के लिए...। वे, अकर्मण्य चर्चाओं से परे रहेंगे...। तयशुदा, रटे-रटाए ‘भारत विरुद्ध इंडिया’ जैसे फलसफों को सिरे से नकार देंगे..। उनके पास ऐसे ‘निकृष्ट’ विषयों के लिए समय कहां होगा..? क्योंकि उन्हें पता है कि 7 जन्मों के पुण्यों के फल से भारतीय होने का गौरव मिलता है।
     कहीं से आया कोई बच्चा नई दिल्ली हवाई अड्डे पर पंचतंत्र की कहानियों की मांग करते दिख जाए तो चकित न हों। समझ लीजिए कि वह जापानी राजधानी के मिताका इलाके से आया है। वहां पर भारतीय किताबों से पढ़ाई शुरू की गई है जो अब कई स्कूलों में चल रही है। और ऐसा किसी फैशनेबल प्रयोग के लिए नहीं किया गया है।
     सन 2000 में जापान गणित की पढ़ाई में विश्व में सर्वश्रेष्ठ था, 3 वर्ष पहले दसवें क्रम पर फिसल गया। भारी बहस के बाद शुरू की र्गई भारतीय किताबें। कक्षाओं में पंचतंत्र की कहानियां होने लगीं और उसके पशु-पात्र सिंहनक और दमनक के चित्र लगाए गए।
     गणित के लिए तो साफ कहा गया कि औसत जापानी बच्चे 9 तक ही पहाड़े सीख पाते हैं, जबकि भारतीय बच्चे 99 का पहाड़ा खूब सुना देते हैं- 99 में 99 का गुणा तेजी से करते हैं। तेज गति। तेज बुद्धि। यही तो है हिंदुस्तान की विशेषता। इसी के भरोसे हम विश्व में शीर्ष होंगे। स्वतंत्रता की 50वी सालगिरह पर इंद्रकुमार गुजराल ने गजब का उदाहरण दिया था।
     उन्होंने बताया था कि0 "50 साल पहले उनका परिवार रेल्वे प्लेटफार्म पर सोता था - आज वे प्रधानमंत्री हैं। यानी समान अवसर। ऐसा सिर्फ हिन्दुस्तान में हो सकता है। अब समय आ गया है। 115 करोड़ का 10 वर्षों से गुणा करने का..! क्योंकि यह दशक हमारा है। हर भारतीय का..। और इस दशक में ही तय होगा कि हमारा देश सुपरपावर बनेगा.। चाहे बने कभी भी।
     तय अभी ही होगा..। और सर्वाधिक कीमती समय है "2011"...!!  क्योंकि यह इस स्वर्णिम दशक का आधार वर्ष है। सूझबूझ वाले लोग सुबह देखकर बता देते हैं कि दिन कैसा होगा..। हमारे लिए नया वर्ष नए दशक की भोर ही है। पौ फटने पर जागना होता है। हमें जागना ही तो है। शेष काम तो सूर्य का है। चमचमाती किरणों से इतनी ऊर्जा भर देगा कि हर पल, हर जीवन रोशनी से भर उठेगा।
     इसी ऊर्जा के सही प्रयोग की बारी आ गई है। दशक का नेतृत्व युवा करेंगे। हमारे युवा यानी कोई 50 करोड़ बिजलीघर। चलते-दौड़ते और उड़ते ऊर्जा मंडल। ये युवा अब तक की पीढ़ियों में सबसे जुदा होंगे। इनके तेवर में ताप होगा। इनके सीने में आग होगी। उन्हें किसी सांसारिक सफलता की परवाह नहीं होगी।
     क्योंकि मातृभूमि का गौरव जो बढ़ाना है। नृत्यांगना सोनल मानसिंह ने कहा था "सात जन्मों के पुण्य से भारत में जन्म होता है । अगले दस वर्ष महिलाओं के नाम होंगे। युवा वर्ग मिलकर जहां अमीर-गरीब के भेद को पाट देगा, महिलाओं को इससे भी बड़ा श्रेय मिलेगा। वे दिखा देंगी कि शहरी और ग्रामीण महिलाओं में सांसारिक <span>संघर्षों</span> लेकर कोई अंतर नहीं है।
     दमन को कुचलने और बाधा बने तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देने में जितना साहस शहरी युवतियां दिखाएंगी उतना ही गांव की महिलाएं। और एक बड़ा परिवर्तन आने वाला है। अभिशाप बनकर बैठी निरक्षरता नष्ट होने जा रही है। जितनी अमेरिका की कुल आबादी है उससे कहीं अधिक भारतीय पढ़ नहीं सकते। इसलिए आगे नहीं बढ़ सकते।
     सभी ने यह सुना..। किंतु बड़ी भूल की..। ऐसा कड़वा सुनकर भी हम पढ़ने में नहीं जुटे..? पास होने में ही संतुष्ट हो गए..। संतुष्ट होना- किसी भी देश के युवाओं का संतुष्ट हो जाना- पतन की पताका फहराने जैसा है। वह तो हमारे बुजुर्र्गो का प्रताप रहा कि हमारा पतन नहीं हुआ।
उधर एक बड़ी भूल की हमारे शिक्षकों ने भी। उन्होंने हमें कभी पढ़ाई करने को नहीं उकसाया। नहीं समझाया कि अक्षर ज्ञान होने पर ही विश्व का नेतृत्व मिल सकेगा। ऐसी कमजोर पढ़ाई के बावजूद नासा, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, आईबीएम और जीरॉक्स- में भारतीयों की संख्या 25 से 28 प्रतिशत है। यह प्रतिशत बढ़ भी जाए तो कोई महान विषय नहीं है। नए युवा को, नई महिला को न कोई डिग्री डिगा पाएगी न पद लुभा पाएंगे।
     उसका कोई ‘आयकन’ नहीं होगा। उसे राहुल गांधी पसंद तो आएंगे किंतु रोल मॉडल नहीं होंगे। सचिन, सानिया, साइना से वह प्रभावित होगा लेकिन बस खेल तक। फिल्मी सितारे, राजदुलारे हों या चांद सितारे- वह उन्हें उनकी दक्षताओं-क्षमताओं तक ही पसंद करेगा।
उसे पता होगा कि किसी को भी रोल मॉडल बनाने से उसे ‘उनके जैसा’ बनना होगा- स्वयं का अस्तित्व खोना पड़ेगा। फिर यह समय उसका कैसे होगा? यह दशक शौर्य का चरमोत्कर्ष होगा।विजयी वही होंगे जो मंजिल नहीं, राहों से प्रेम करेंगे। कहा गया है कि : यदि आप कमजोर पैदा हुए हैं- तो इसमें आपका कोई दोष नहीं किंतु यदि कमजोर ही मरते हैं- तो पूरे दोषी आप ही हैं।...
     "We Youth Foundation" जनवरी 2011 से इसी लक्ष्य के साथ भारत और विश्व के समन्वित  नैतिक, भौतिक और अध्यात्मिक विकास के  साथ संकल्पित होकर आप लोगो के बीच आया है.. आप सभी से इस महतवपूर्ण विकाशात्मक आन्दोलन में हाथ से हाथ मिलकर जुड़ने की अपील है.. ताकि हर घने अँधेरे को दिए से दिया जलाकर दूर किया जा सके..!! विश्वास रखे कि ये आने वाला दशक इतिहास में युवाओं को भविष्य का मार्गदर्शक बतायेगा... क्यों कि आने वाले दशक का युवा "अब मैं नहीं हम" के सांचे से ढला होगा..और इस सांचे को मजबूत आधार देने के लिए आज ही  "We Youth Foundation" के महत्वपूर्ण स्तम्भ बने..!!  आज ही 9871117901  या 9368015620   पर कॉल करे..!!