Monday, May 24, 2010

इंतजार...

इंतजार...
वो शब्द जिसके भीतर छिपे है हर आने वाले कल के असंख्य राज...जिनमे कुछ खुशियों के फूल है..तो कुछ गम के कांटे...!! कभी होठों कि मुस्कान है..तो कभी आँखों का पानी...!! बस इन्ही उम्मीदों के साए में हमारी आँखें भी एक उस पल के इंतज़ार में है...कि आखिर हमारे इंतजार कि इंतहा क्या होगी...!!
पता नहीं कि..
रोयेंगी आँखें मुस्कुराने के बाद...या आएगा दिन रात ढल जाने के बाद...!!
काजोल से समानता
एक बार हम हमारी एक प्यारी सी मित्र
मीनाक्षी जी (one97) को ट्यूशन पढ़ाने गए....
और पहले ही दिन उन्होंने हमसे सवाल किया कि...
सूर्य प्रकाश जी...
क्या हमारी आँखें  "काजोल" से मिलती है..
पर हम टीचर थे, सो बात टाल गए...
अगले दिन उन्होंने फिर वही सवाल किया..
हम फिर से टाल गए...
और एक दिन तो,
उन्होंने हाथ पकड़ कर ज़बरदस्ती बैठाकर पूछ ही लिया कि...
सूर्य प्रकाश जी...
आज तो आपको बताना ही पड़ेगा...
क्या हमारी आँखें "काजोल" से मिलती है...
हमें भी क्या हमने बोल दिया सच....
और कहा कि...
अरी मूर्ख बालिका...तेरी एक आँख तो दूसरी आँख से मिलती नहीं..
"काजोल" से क्या ख़ाक मिलेगी....!!

"हा हा हा हा हा हा हा"