Thursday, April 23, 2009

धर्मं अध्यात्म और प्रकृति का अद्वित्य संगम- उत्तराखंड

उत्तराखंड को वर्णित करते हुए महादेवी वर्मा लिखती है की -
"पूरब और पश्चिम सागर तक
भू के मानदंड सा विस्तृत
उत्तर दिशी में दिव्य हिमालय
गिरियों का अधिपति है शोभित"
हमारे देश का एक अनूठा और विशेष पर्वीत्य राज्य उत्तराखंड दिव्य हिमालय की गोद में बसा एक स्वपनिल प्रदेश है ९ नवम्बर २००० को स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आए इस प्रदेश की प्राचीन संस्कृति उतनी ही विविधतापूर्ण है, जितनी भारतीय संस्कृति है। सर्वप्रथम मध्य हिमालय की गोद में बसे इस स्वपनिल प्रदेश की विविध्तामायी संस्कृति यहाँ के प्राकृतिक-भोगोलिक परिवेश, ऐतहासिक पृष्टभूमि, धर्म, संस्कृति, लोकस्वभाव, और सामाजिक-आर्थिक ढाँचे का परिचय पाती है।