Wednesday, March 10, 2010

~ विचार : जो युग परिवर्तन कर दें ~
10-मार्च 2010 
"लोकमंगल की सर्वकल्याणकारी सत्प्रवर्त्तियों से ही किसी व्यक्ति, देश, धर्म, समाज तथा संस्कृति की उत्कृष्टता नापी जा सकती है. खरे खोटे की पहचान भी इसी आधार पर होती है."                                                       पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

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